Friday 8 November 2013

बुन्देली कवि श्री माधव शुक्ल 'मनोज' के साहित्यक योगदान के लिए साहित्य सागर की ओर से

 बुन्देली कवि श्री  माधव शुक्ल 'मनोज' के साहित्यक योगदान
के लिए साहित्य सागर की ओर से

                                                    अभिनंदन पत्र                      दिनांक 7.10.1990
शशि सी शीतलता है तुममें, दिनकर जैसा घोष।
बुन्देली साहित्य मनीषी, माधव शुक्ल मनोज।।
सतत् साधना के प्रतीक तुम, कर्मठता की आन।
सागर को है भेंट विधि की साहित्यिक पहचान।।
बुन्देली स्वर दूर-दूर तक हैं तुमने पहुंचाये।
नई विधायें नये गीत के नये बोल बिखराये।।
मावस की रातों में जन-जब काले बादल छाये।
हर्षित करने जन मन तुमने गन्ना से दिन गाये।।
जीवन किया समर्पित सारा साहित्यिक धारा को।
नहीं किया स्वीकार कभी भी अंध स्वार्थ कारा को।।
राष्ट्र भावना से प्रेरित हो लिया एकता नारा।।
देश प्रेम की लहर जगाना ही उद्देश्य तुम्हारा।।
अनचाहे रोड़े पथ में तो आते है औ आयें।
किन्तु समय के दांव पेंच से कभी न तुम धबराये।।
सीधी सच्ची राह तुम्हें हरदम आती आई है।
इसीलिए तो कलम तुम्हें गंगा तट ले आई है।।
तुमसे खिली दिशायें पवन में महका शीतल चंदन।
करो बंधु स्वीकार तुम्हारा शत्-शत् है अभिनंदन।।

महासचिव                                         अध्यक्ष
टी. आर. त्रिपाठी रूद्र                       निर्मल चन्द्र निर्मल

अभिनन्दन पत्र 

अभिनन्दन माधव शुक्ल मनोज 
अभिनन्दन माधव शुक्ल मनोज


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