Friday 8 November 2013

राष्ट्रपति सम्मान 1994 - माधव शुक्ल 'मनोज'

राष्ट्रपति सम्मान 1994
 इस वर्ष मध्यप्रदेश के शिक्षकों में राष्ट्रीय सम्मान हेतु श्री माधवशुक्ल मनोज का नाम भारत शासन ने घोषित किया है। वर्तमान में आप शासकीय शाला सदर नम्बर 1, सागर में कार्यरत प्रधानाध्यपक हैं आप ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं में भी प्रधानाध्यपक के पद पर रहे हैं। लगभग 29 वर्षो से अपनी लगन एवं अध्यापन कार्य से आपने नई पीढ़ी के निर्माण का कार्य किया है। जहां-जहां जिन  ग्रामों में आप शिक्षक रहे वहां न केवल छात्रों को शिक्षण प्रदान किया वरन् समूचे समाज को आपने अपने व्यक्तित्व से प्रभावित किया है।
माधव शुक्ल मनोज

आपकी शिक्षण पद्धति बालकों को आस्थावान, स्वावलम्बी और श्रम के प्रति आदर और निष्ठावान बनाने वाली है। आपने विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता की भावना का बीजारोपण सदैव सहज ही किया है। श्रमदान से शाला भवनों का विस्तार, उद्यान, कुआॅ का निर्माण, कृषि उत्पादन का शिक्षण, सद्भावना यात्रा शिविर, स्वच्छता अभियान जैसे मौलिक अनेक कार्य हैं जो आपके शिक्षक के व्यक्तित्व को नये आयाम प्रदान करते हैं।

आपने प्राथमिक शाला मकरोनिया में भारत-पाक यु़द्ध के समय विद्यार्थियों के लिए फौजी ट्रेनिंग दी। सामने पहाड़ी पर युद्ध का प्रदर्शन और बंदूक की सलामी छात्रों द्वारा देकर जय जवान-जय किसान, के नारे को सार्थक किया था। तभी आपकी सुन्दर प्रभावशाली शाला व्यवस्था एवं नयी शिक्षण पद्धति को देखकर सन् 1967 में शिक्षा विभाग द्वारा सागर जिले की प्राथमिक शालाओं में से आपकी प्राथमिक शाला मकरोनिया आदर्श शाला घोषित की गई और संभागीय शिक्षक दिवस समारोह समिति सागर संभाग ने आपको प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

सन्1970 मैं प्राथमिक शाला रजाखेड़ी में प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के छात्र-छात्राओं को आमंत्रित कर राष्ट्रगीत प्रतियोगिता (जनगणमन अधिनायक जय हे एवं वन्दे मातरम ) आयोजित की। जिसमें जिले की नगरीय एवं ग्रामीण शालाओं ने भाग लिया जिसकी रूपरेखा नियंत्रण पत्रिका मध्यप्रदेश शासन को भेजी गई थी। शासन ने इस योजना से प्रभावित होकर फरवरी सन् 1974 में इस योजना को ‘देश गीतांजलि प्रशिक्षण’ के अंतर्गत लागू किया था। इस प्रशिक्षण में भी श्री मनोज ने भाग लिया और फिर इस देश गीतांजली को अपने मौलिक ढंग से प्रस्तुत कर शासन की उस प्रशिक्षण योजना को गौरान्वित किया।
माधव शुक्ल मनोज, सम्मान 1994 

आपने प्रतिवर्ष शालेय उत्सवों पर आपने द्वारा किये गये मौलिक शिक्षण पद्धति, सांस्कृतिक रचनात्मक कार्यक्रमों की प्रगति, पत्रिकायें प्रकाशित की साथ ही नगर एवं ग्राम के गणमान्य व्यक्तियों, अधिकारियों एवं पत्रकारों के समक्ष अपने कार्यों को उजागर करते रहे हैं। वर्तमान में आपकी मौलिक शिक्षण गतिविधियां और योजनायें प्रभावशाली हैं जिनमें स्वच्छता अभियान, विज्ञान कोना, हरित क्रान्ति, भाषा सुधार, अभ्यास पाठ, समस्या निदान पद्धति, अतिरिक्त ज्ञान एवं लकड़ी की बंदूकों द्वारा फौजी शिक्षा, विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

एक सफल शिक्षक होने के साथ ही माधव शुक्ल मनोज मध्यप्रदेश के जाने-माने प्रख्यात कवि साहित्यकार भी हैं। आपने बुन्देली गीतों एवं हिन्दी की नयी कविता अर्थात् आधुनिक हिन्दी काव्य की दोनों विघाओं में भी उत्तम रचनायें की हैं जिनके कारण उनके साथ ही बुन्देलखण्ड को सम्मान मिला है। आकाशवाणी के साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से आपने राष्ट्र की भावनात्मक एकता के पक्ष को सबल किया है। श्री मनोज की राष्ट्रीय जन जागरण की कवितायें गावों की चैपालों में गूंज कर जनमानस को देश प्रेम का संदेश देती आ रही हैं।

सूचना प्रकाशन विभाग के द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के माध्यम से भी जन जाग्रति में सदैव योगदान किया है जो अभिनंदनीय है। श्री मनोज की 35 वर्षीय लम्बी साहित्यिक यात्रा में उनकी कवितायें कहानियां लेख देश की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है। इस तरह साहित्य जगत में भी श्री मनोज ने पूर्ण सफलता प्राप्त की है। आपकी सात-आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मध्यप्रदेश साहित्यकार एवं महाकौशल के साहित्यकार ग्रन्थों में आपका विशेष उल्लेख किया गया है।

वर्तमान में आप मध्यप्रदेश शासन, भोपाल के अंतर्गत आदिवासी लोक कला परिषद् भोपाल के मनोनीत सदस्य तथा मध्यप्रदेश कला परिषद् भोपाल द्वारा संभागीय उत्सव समिति सागर के भी मनोनीत सदस्य हैं आपको इस वर्ष मध्यप्रदेश लोक कला परिषद् भोपाल ने लोक कलाओं में बुन्देलखण्ड का लोक नृत्य राई पर मोनोग्राफ लिखने के लिए शोध कार्य दिया। परिषद् ने उसे राई नाम से प्रकाशित भी किया है।


आप एक उत्कृष्ट अध्यापक हैं और 29 वर्षों की निष्ठा पूर्ण सेवा दे चुके हैं। एक शिक्षक के रूप में आपने श्रेष्ठ स्तर बनाये रखा है। और आप शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे विकास की अद्यतन जानकारी रखते हैं। आपकी कक्षा के परीक्षाफल ही आपके दृढ़ संकल्प और निष्ठ के साक्षी हैं। आपने अपने छात्रों के लिए अपना ही एक पुस्तकालय खोला है। शैक्षिक कार्यकलाप या नए प्रयोगों की ऐसी कोई भी योजना नहीं हैं जिससे आप सबंधित न रहे हों। आपने सामजिक और सांस्कृतिक कार्यकलापों के जरिए आप अपने इलाके की सेवा करते आ रहे हैं। आपके स्कूल द्वारा एक शिशू चिकित्सालय और नेहरू बाल पुस्तकालय भी चलाया जा रहा है। जनता का सहयोग प्राप्त करके आपने पीने के पानी की समस्या का समाधान किया आपने अपने स्कूल के लिए दो कमरे तथा एक बरामदा बनवाया। आप एक कुशल लेखक और लब्ध प्रतिष्ठित कवि हैं। आपको मध्यप्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद् का सदस्य नामित किया गया है। आप एक आदर्श और निष्ठावान शिक्षक हैं और छात्रों, शिक्षकों और समाज के बीच आपको बहुत सम्मान प्राप्त है।

श्री मनोज को यह राष्ट्रपति पुरस्कार बहुत पहिले मिल जाना चाहिए था। श्री हरिनारायण चैबे  जिला शिक्षा अधिकारी जी ने यह उक्ति सच सिद्ध कर दी कि देर है’-अंधेर नहीं।

No comments: