विन्यास-कविता मासिक
माधव शुक्ल 'मनोज',
रमेशदत्त दूबे,
विजय कुमार,
पता-
विन्यास कार्यालय
परकोटा सागर मध्यप्रदेश
अगस्त 1962, अंक-एक, वर्ष-एक, प्रकाशित हुआ था
सम्पादकीय
विन्यास का प्रथम अंक आपके सामने हैं। 'विन्यास' को जो रूप हम देना चाहते थे, वह नहीं दे पाये। विन्यास के घोषणा पत्र में भी जिन विधाओं की हमने चर्चा की थी, उनमें से भी कुछ रह गयी हैं। उसके कई कारण हैं
'विन्या'स के संपादकों ने नयी कविता के कुछ प्रसिद्ध कवियों से उनकी कृति के लिए आग्रह किया। कवियों ने टके सा जवाब दिया कि पिछले वर्ष से उन्होंने कुछ भी नहीं लिखा है।
एक नया कवि बिना कुछ दिये ( कुछ व्यापारिक पत्रिकाओं को कवितायें देने के अलावा ) निःशेष हो जाये यह दुख की बात है। होता यह है कि बिना काव्य-प्रतिभा के कुछ कवि काव्य रचना प्रारंभ कर देते हैं-कुछ निश्चित फिकरों और मुहावरों की दम पर। बार-बार उन्हीं मुहावरों और फिकरों का प्रयोग करते-करते कवि खुद कब ऊब जाता है। फलतः काव्य रचना बन्द हो जाती है।
कुछ रचनाकारों ने अपनी वे रचनायें पहुंचाई जो कई जगह से अस्वीकृत हो चुकी थी। उनके मन में सम्भवतः यह थाकि छोटे शहर की छोटी पत्रिका, रचना छप जायेगी। यह एक साहित्यिक बईमानी है।
जैसा कि होता है सोच-विचार कम और रचना (खास कर कविताओं की) अधिक, सो गद्य इस अंक को मिला नहीं।
अन्त में आशा और विश्वास के बल पर अगला अंक निकलेगा। आपकी सर्वश्रेष्ठ कृति आमंत्रित है।
अगस्त 1962
इस अंक में-
दूध नाथ सिंह
श्रीराम वर्मा
निर्मला वर्मा
अनामिका
प्रेमलता वर्मा
धारा मिश्र
मनोज
अपरान्ह -दूधनाथ सिंह
द्वन्द -निर्मल वर्मा
दो कवितायें -रमेशदत्त दुबे
विशिष्ट कवि
सपना, मुट्ठियों में, फूल दर्पण, नीली झील, प्रभात का चंद्रमा @अबोध स्थितियों तीन कवितायें-मनोज
गांव की याद -मोहन अम्बर
हम तुम दो मीठे बैना -नीलोद कुमार
बसन्त -अनामिका
तुम्हारी बांहों में -प्रेमलता वर्मा
पुनर्जन्म -धारा मिश्र
भाषान्तर मराठी कवितायें
चन्दन -सदानन्द रेगे,
राह -आरती प्रभु
-अनुवाद दिनकर सोनवलकर
चेलिया-एक विज्ञापन -श्रीराम वर्मा,
बबूल -दिनकरराव
एक कविता -गंगाप्रसाद विमल
एक कविता -बेंकटराव
सितम्बर 1962 अंक दो
प्रेमाभाव -आग्नेय
धाटी, वसंत और ‘ााम -राम विलास शर्मा
काव्य भूमिः संकलित टिपपणियां-विजयकुमार
-शमशेर बहादुर सिंह
-दूधनाथ सिंह (कल्पना130)
-गजानन माधव मुक्तिबोध( कालिदास जनवरी 1962)
विशिष्ट कवि -ओमप्रभाकर/नीलोद कुमार
डूब गये सूरज के लिए -ओमप्रभाकर
दिल्ली में एक दिनः आधुनिक शहर की एक प्रतिक्रिया
सहजिए क्षण
हर जलूस निकले मेरे ही द्वारे से
एक कविता -भागीरथ भार्गव
आस्था -अनुरागी
ओ कविता -देवब्रत देव
छाया-प्रेत -श्रीबाल पाण्डेय
एक कविता -चन्द्रकान्त देवताले
एक उर्दू कविता -मुबारिक है-मुनब्बर
काव्य रेखांकन
एक हस्ताक्षर और -राजा दुबे, संकलन रमेश कुमार तैलंग
नई कविता और कुछ प्रश्न-एक पाठक
पत्र
फरवरी अंक 1965
-वेंकटराव की पांच कवितायें
सब्र
रक्षा
प्रतिशोध
भविष्य
सोये हुए लोग
तुम
किस अज्ञात इशारे पर -दूधनाथ सिंह
फूंक दो -भारत भूषण अग्रवाल
प्रायश्चित -मणि मधुकर
ऐतिहासिक संदर्भ का दायित्व और आगामी पीढ़ी-गंगाप्रसाद विमल
कुतुबनुमां -राजकमल चैधरी
मैं चीड़ का दरख्त हूं -विष्णु चन्द्र शर्मा
प्यार
ये उपलब्ध्यि -नारायणलाल परमार
एक कविता -प्रभाकर माचवे
एक कविता -नागानन्द मुक्तिकंठ
संपादकीय
माधव शुक्ल 'मनोज',
रमेशदत्त दूबे,
विजय कुमार,
पता-
विन्यास कार्यालय
परकोटा सागर मध्यप्रदेश
अगस्त 1962, अंक-एक, वर्ष-एक, प्रकाशित हुआ था
सम्पादकीय
विन्यास का प्रथम अंक आपके सामने हैं। 'विन्यास' को जो रूप हम देना चाहते थे, वह नहीं दे पाये। विन्यास के घोषणा पत्र में भी जिन विधाओं की हमने चर्चा की थी, उनमें से भी कुछ रह गयी हैं। उसके कई कारण हैं
'विन्या'स के संपादकों ने नयी कविता के कुछ प्रसिद्ध कवियों से उनकी कृति के लिए आग्रह किया। कवियों ने टके सा जवाब दिया कि पिछले वर्ष से उन्होंने कुछ भी नहीं लिखा है।
एक नया कवि बिना कुछ दिये ( कुछ व्यापारिक पत्रिकाओं को कवितायें देने के अलावा ) निःशेष हो जाये यह दुख की बात है। होता यह है कि बिना काव्य-प्रतिभा के कुछ कवि काव्य रचना प्रारंभ कर देते हैं-कुछ निश्चित फिकरों और मुहावरों की दम पर। बार-बार उन्हीं मुहावरों और फिकरों का प्रयोग करते-करते कवि खुद कब ऊब जाता है। फलतः काव्य रचना बन्द हो जाती है।
कुछ रचनाकारों ने अपनी वे रचनायें पहुंचाई जो कई जगह से अस्वीकृत हो चुकी थी। उनके मन में सम्भवतः यह थाकि छोटे शहर की छोटी पत्रिका, रचना छप जायेगी। यह एक साहित्यिक बईमानी है।
जैसा कि होता है सोच-विचार कम और रचना (खास कर कविताओं की) अधिक, सो गद्य इस अंक को मिला नहीं।
अन्त में आशा और विश्वास के बल पर अगला अंक निकलेगा। आपकी सर्वश्रेष्ठ कृति आमंत्रित है।
अगस्त 1962
दूध नाथ सिंह
श्रीराम वर्मा
निर्मला वर्मा
अनामिका
प्रेमलता वर्मा
धारा मिश्र
मनोज
अपरान्ह -दूधनाथ सिंह
द्वन्द -निर्मल वर्मा
दो कवितायें -रमेशदत्त दुबे
विशिष्ट कवि
सपना, मुट्ठियों में, फूल दर्पण, नीली झील, प्रभात का चंद्रमा @अबोध स्थितियों तीन कवितायें-मनोज
गांव की याद -मोहन अम्बर
हम तुम दो मीठे बैना -नीलोद कुमार
बसन्त -अनामिका
तुम्हारी बांहों में -प्रेमलता वर्मा
पुनर्जन्म -धारा मिश्र
भाषान्तर मराठी कवितायें
चन्दन -सदानन्द रेगे,
राह -आरती प्रभु
-अनुवाद दिनकर सोनवलकर
चेलिया-एक विज्ञापन -श्रीराम वर्मा,
बबूल -दिनकरराव
एक कविता -गंगाप्रसाद विमल
एक कविता -बेंकटराव
सितम्बर 1962 अंक दो
प्रेमाभाव -आग्नेय
धाटी, वसंत और ‘ााम -राम विलास शर्मा
काव्य भूमिः संकलित टिपपणियां-विजयकुमार
-शमशेर बहादुर सिंह
-दूधनाथ सिंह (कल्पना130)
-गजानन माधव मुक्तिबोध( कालिदास जनवरी 1962)
विशिष्ट कवि -ओमप्रभाकर/नीलोद कुमार
डूब गये सूरज के लिए -ओमप्रभाकर
दिल्ली में एक दिनः आधुनिक शहर की एक प्रतिक्रिया
सहजिए क्षण
हर जलूस निकले मेरे ही द्वारे से
एक कविता -भागीरथ भार्गव
आस्था -अनुरागी
ओ कविता -देवब्रत देव
छाया-प्रेत -श्रीबाल पाण्डेय
एक कविता -चन्द्रकान्त देवताले
एक उर्दू कविता -मुबारिक है-मुनब्बर
काव्य रेखांकन
एक हस्ताक्षर और -राजा दुबे, संकलन रमेश कुमार तैलंग
नई कविता और कुछ प्रश्न-एक पाठक
पत्र
फरवरी अंक 1965
-वेंकटराव की पांच कवितायें
सब्र
रक्षा
प्रतिशोध
भविष्य
सोये हुए लोग
तुम
किस अज्ञात इशारे पर -दूधनाथ सिंह
फूंक दो -भारत भूषण अग्रवाल
प्रायश्चित -मणि मधुकर
ऐतिहासिक संदर्भ का दायित्व और आगामी पीढ़ी-गंगाप्रसाद विमल
कुतुबनुमां -राजकमल चैधरी
मैं चीड़ का दरख्त हूं -विष्णु चन्द्र शर्मा
प्यार
ये उपलब्ध्यि -नारायणलाल परमार
एक कविता -प्रभाकर माचवे
एक कविता -नागानन्द मुक्तिकंठ
संपादकीय
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